गुजरात दंगा 2002 के समय बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था। इस मामले में मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी । हालांकि, अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने इन दोषियों की सजा माफ कर दी थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले देते हुए कहा कि गुजरात सरकार का फैसला “सत्ता का दुरुपयोग” था। कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषियों की सजा माफी का फैसला लेने का अधिकार उस राज्य को है जहां अपराध हुआ था, यानी महाराष्ट्र सरकार को।
दरअसल बिलकिस बानो के साथ 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप हुआ था। इस मामले में मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी। लेकिन गुजरात सरकार द्वारा अगस्त 2022 में इन दोषियों की सजा माफ कर दी गई थी।
जिसके बाद बिलकिस बानो और अन्य लोगों ने गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, और कहा था कि यह फैसला गैरकानूनी है और इससे न्याय की प्रक्रिया को ठेस पहुंची है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार ने दोषियों की सजा माफी के लिए कोई ठोस आधार नहीं दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को दोबारा जेल भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को अपनी पूरी सजा भुगतनी ही होगी।
बिलकिस बानो के लिए यह फैसला एक बड़ी जीत है। उन्होंने अपने साथ हुए अत्याचार के न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। इस फैसले से उन्हें इंसाफ मिला है।
इस फैसले से देश में आम लोगो के बीच भारतीय न्यायलय के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। यह फ़ैसला दिखलाता है कि सत्ता का दुरुपयोग करके भी दोषियों को कानून से बचाया नहीं जा सकता।
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