Nalanda University History: नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रमुख शिक्षा संस्थान है, जो बिहार के नालंदा जिला में स्थित है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं सदी में कुमारगुप्त प्रथम द्वारा महाविहार के रूप में किया गया था। यह एक अध्यन शैक्षिक केंद्र था, जहां दुनियाभर के छात्र अध्यन और पढ़ने के लिए आया करते थे।
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नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास: (Nalanda University History)
नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University) एक प्राचीन गुरुकुल के रूप में शुरू हुआ था, जो महाविहार के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना आधुनिक शिक्षा की शुरुआत के रूप में जानी जाती है। नालंदा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को धार्मिक, दार्शनिक, और वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान की जाती थी। नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय शिक्षा के उच्चतम पर्वतों में से एक माना जाता था। इस विश्वविद्यालय को दुनिया की सबसे पुरानी विश्वविद्यालयों (Oldest University of World) में गिना जाता है।
नालंदा महाविहार:
नालंदा विश्वविद्यालय (Establishment of Nalanda University) की उत्पत्ति महाविहार के रूप में हुई थी, जो 5वीं सदी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के समय में स्थापित किया गया था। इस महाविहार में धार्मिक, दार्शनिक, और वैज्ञानिक शिक्षा प्रदान की जाती थी, जिससे छात्रों को ज्ञान के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास का भी माध्यम बनाती थी।
1199 ई० में खिलजी सल्तनत के सेनापति मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगा दिया था। इस हमले के कारण विश्वविद्यालय की बहुत सारी यात्राएं समाप्त हो गईं। इस घटना ने भारतीय शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक जीवन को गहरी चोट पहुंचाई।
Nalanda University में पुस्तकें और Manuscript का भंडार हुआ करता था, जिसे रखने के लिए 9 मंजिला लाइब्रेरी बनवाया गया था। खिलजी द्वारा विश्वविद्यालय में आग लगाने से सभी पुस्तके और मनुस्क्रिप्ट जल कर खाक हो गई। बताया जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी करीब 3 महीने तक जलती रही और ज्ञान का खजाना जल कर राख हो गई।
नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: (Facts About Nalanda University History)
- स्थापना: नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं सदी में गुप्त साम्राज्य के शासक कुमारगुप्त चंद्रगुप्त द्वितीय ने की थी।
- आकार: इस विश्वविद्यालय का क्षेत्रफल लगभग 14 हेक्टेयर था, और इसमें गणित, विज्ञान, धर्मशास्त्र, ज्योतिष, और अन्य कई क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता था।
- शिक्षक: इस विश्वविद्यालय में कई प्रमुख शिक्षक थे, जिनमें आर्यभट, चाणक्य, और अन्य विद्वान् शामिल हैं।
- अध्ययन: नालंदा विश्वविद्यालय में धार्मिक और गैर-धार्मिक अध्ययन किया जाता था, जिसमें बुद्धिस्त संगीत, विज्ञान, तार्किक विचार, ज्योतिष, गणित, और अन्य विषय शामिल थे।
- अस्तित्व का अंत: नालंदा विश्वविद्यालय का अस्तित्व 12वीं सदी में समाप्त हो गया जब मुस्लिम सैनिकों ने इसे नष्ट किया।
- पुनर्निर्माण: 2006 में भारतीय सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण का निर्णय लिया, और नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित किया गया।
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नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण:
Nalanda University History: नालंदा विश्वविद्यालय के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया भारत सरकार द्वारा 2006 में शुरू की गई। इसके बाद से, नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण कार्य तेजी से चला और आज वह एक विश्वस्तरीय शिक्षा संस्थान के रूप में अपने पहचान बना चुका है।
नालंदा विश्वविद्यालय का भविष्य उज्जवल है, जो गहन शिक्षा के साथ-साथ एक नई ऊर्जा को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।यह न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में एक प्रमुख नाम बनाने की दिशा की ओर कदम बढ़ा रहा है।
सबसे पहले नालन्दा विश्वविद्यालय किसने बनवाया था?
कुमारगुप्त ने 5वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय को सबसे पहले बनवाया था। इस विश्वविद्यालय में विभिन्न शाखाओं में शिक्षा दी जाती थी, जैसे कि धर्मशास्त्र, विज्ञान, गणित, तथा अन्य विषय।
नालंदा विश्वविद्यालय को किसने आग लगाया और क्यों?
1199 ई में खिलजी सल्तनत के सेनापति मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को आग लगा दिया था।
खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को जलाया था जिसके पीछे धर्मान्तरण की नीति, अध्ययन केंद्र की निष्क्रियता, सांस्कृतिक विरोध जैसे कई कारण थे।
विश्व का पहला विश्वविद्यालय कौन सा है?
बोलोग्ना विश्वविद्यालय को विश्व का पहला विश्वविद्यालय कहा जाता है।
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